छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 11वीं कक्षा की छात्रा द्वारा स्कूल के हॉस्टल में एक बच्चे को जन्म देने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि नवजात मृ’त पैदा हुआ था. घटना के बाद वहां ह’ड़कंप मच गया और आधी रात में अफसरों का हॉस्टल में आना जाना शुरू हो गया.
जानकारी के मुताबिक यह पूरी घटना छात्रावास की अधीक्षिका हेमलता नाग की जानकारी में हुई. आ’रोप है कि उन्होंने मामले को दबाने के लिए झूठ बोला, इस कारण उन्हें नि’लंबित कर दिया गया है.
दरअसल, दंतेवाड़ा के पताररस में 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली 17 साल की छात्रा ने छात्रावास में आधी रात को बच्चे को जन्म दिया. घटना सामने आने के बाद अधीक्षिका ने बताया कि त’बियत खराब होने के कारण उसे परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया और वे उसे डिमरापाल लेकर गए.
लेकिन जब मामले का खुलासा हुआ तो पता चला कि पहले छात्रा जिला अस्पताल के लेबर वार्ड में ही एडमिट थी और बाद में बिना बताए ही वहां से चली गई.
घटना सामने आने के बाद पूरे प्रशासनिक महकमा सक्रिय हुआ. घटना के बाद अधीक्षिका को सस्पेंड कर दिया गया है. उधर कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए जांच टीम बनाई है. डिप्टी कलेक्टर प्रीति दुर्गम के नेतृत्व में जांच चल रही है.
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक दंतेवाड़ा जिले के पटरास के एक स्कूल हॉस्टल की 11 वीं कक्षा के छात्रा ने स्कूल के हॉस्टल में एक बच्चे को जन्म दिया है. डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि बच्चा म’रा हुआ पैदा हुआ और लड़की का कहना है कि वह 2 साल से अपने गांव के एक लड़के के साथ रिलेशनशिप में थी.
उन्होंने कहा कि मामला सामने आने के बाद छात्रा को अस्पताल लाया गया था और अब हम मेडिकल स्टाफ से भी पूछताछ करेंगे. छात्रावास अधीक्षक को तत्काल नि’लंबित कर दिया गया, जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
जानकारी के अनुसार 17 साल की ना’बालिग ने बुधवार सुबह पेट में दर्द हुआ था, इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. छात्रा के परिजनों को जब बेटी के ग’र्भवती होने और एक बच्चे को जन्म देने की बात पता चली तो वह चौंक गए.
इसके बाद छात्रा ने पूरी कहानी डिप्टी कलेक्टर को बताई. डिप्टी कलेक्टर ने कहा है कि अस्पताल के कर्मचारियों और अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी. यह भी बताया गया कि स्कूल प्रशासन ने मृ’त नवजात को छात्रा के परिजनों के हवाले कर दिया गया है.
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामले की लीपापोती के लिए छात्रावास की अधीक्षिका हेमलता ने पहले कहा कि छात्रा की तबीयत खराब थी, उसे घर भेजा गया है, फिर कहा कि परिजन उसे मेडिकल कॉलेज जगदलपुर ले गए हैं.
फिर बताया गया कि हालत बिगड़ने पर छात्रा को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हॉस्टल स्टाफ के मुताबिक जन्मा शिशु मृ’त था, अस्पताल प्रशासन ने भी स्वीकारा कि एक महिला को भर्ती कराया गया था.
वहीं मामला सामने आने के बाद लोग इस मामले पर कार्रवाई की मांग करने लगे हैं. स्थानीय लोगों ने आंदोलन करने की चे’तावनी भी दे डाली है.
लोगों का कहना है की ऐसे कई मामले सामने आते हैं, खासकर छात्राओं के हॉस्टल से कई केस सामने आ चुके हैं. और इनमें हॉस्टल की देखरेख करने वालों की ही गलती पाई गई है. यह भी आ’रोप लगाए गए कि घटनाएब दबाई भी जाती रही हैं.
हालांकि बताया जा रहा है कि इस मामले में बीच में रविवार का दिन पड़ने की वजह से अधिकारियों से बात नहीं हो पा रही है लेकिन प्रशासन से मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि इस तरह की घटनाएं पिछले कई वर्षों से छात्रावासों में आती रही हैं. कभी बच्चियों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है तो कभी उनका शोषण किया जाता रहा है. हालांकि इस मामले में बच्ची ने कहानी खुद बयां की.
दंतेवाड़ा की डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि जांच पूरी की जाएगी और जो कदम उचित होगा वह उठाया जाएगा. फिलहाल बच्ची को उसके घरवालों को सौंप दिया गया है.
उधर रिपोर्ट्स के मुताबिक अधीक्षिका हेमलता नाग पहले भी विवादों में रह चुकी हैं. दो साल पहले किसी आश्रम में एक छात्रा की मौ’त नदी में डूबने से हुई थी, उस समय भी अधीक्षिका को सस्पेंड किया गया था और उन पर ए’फआईआर भी हुई थी.