गुरमीत राम रहीम को डेरे की सा’ध्वियों के साथ रे’प के’स मामले में गु’नाहगार पाए जाने के बाद आरो’पों के नए सिलसिले जारी है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर आ’रोप है कि वो अभी तक काफी सारे लोगों को न’पुंसक बना चुके हैं।
ऐसे ही आ’रोप आसाराम के एक सेवादार ने लगाए थे कि वे केले के पेड़ की जड़ से भी न’पुंसक बनाने की दवाई बनाते थे और भक्तों को देते थे। जानकारी के अनुसार ये काम बाबा लोग अपने डेरे या आश्रम में ही करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बाबा अपने भक्तों को अपना गुलाम बनाने के लिए न’पुंसक बनाते हैं। उनका मानना होता है कि भक्त मानसिक रूप के साथ-साथ शा’रीरिक रूप से भी उनका गुलाम बना रहे। उनका मानना है कि फैमिली से एक बार दूर हो जाता है वो हमेशा उनके साथ गुलाम बन रह सकता है। वे अपने साथ हमेशा रखते हैं और फिर उनका ब्रे’नवॉश कर उन्हें अपने प्रति ईमानदार बना लेते हैं।
400 साधुओं को बनाया न’पुंसक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में फतेहाबाद के कस्बा टोहाना के रहने वाले हंसराज चौहान खुलकर सामने आए हैं। हंसराज चौहान 1990 से डे’रा सच्चा सौदा से जुड़ा हुआ है और उसे 2000 में न’पुंसक बनाया गया। हंसराज ने 17 जुलाई 2012 को हाईकोर्ट में पिटीशन दायर कर डे’रा प्रमुख पर डेरे के 400 साधुओं को न’पुंसक बनाए जाने का आ’रोप लगाया। उनके अनुसार बाबा ने उन्हें न’शे के कै’प्सूल देकर न’पुंसक बनाया जिससे वे बे’होश हो गए और उन्हें कुछ पता नहीं चला।
इसी तरह आसाराम के एक पूर्व भक्त शिवनाथ ने आ’रोप लगाया था कि आसाराम अपनी दवाओं से सेवादारों को न’पुंसक बनाते हैं। शिवनाथ का कहना था कि आसाराम न’पुंसक बनाने की दवा जड़ी बूटी से बनाते थे।
गुरुओं के सामने झुक कर रहें, इसलिए बनाते थे न’पुंसक
बाबा चाहते हैं कि उनके भक्त हमेशा उनकी बात मानें और हमेशा उनके सामने झुककर रहें। बाबा अपने भक्तों को इस प्रकार से रखते हैं कि वो कभी अपने गुरुओं के प्रति कभी आवाज ना उठा सकें। डेरा के भक्त हंसराज चौहान ने अपनी याचिका में बताया था कि जर्नलिस्ट रामचंद्र छत्रपति ह’त्या’कां’ड में आ’रोपी निर्मल और कुलदीप भी डे’रा सच्चा सौदा के न’पुंसक साधु हैं। लेकिन उन्होंने जे’ल में स्वीकार किया था कि वे न’पुंसक है, लेकिन वे अपनी मर्जी से बने हैं।
गुरमीत राम रहीम के खिला’फ डेरा सच्चा सौदा के 400 साधुओं को न’पुंसक बनाने के मामले की चा’र्जशीट के अहम दस्तावेज न्यूज़ 18 के हाथ लगे हैं और साथ ही पता लगा है गुरमीत राम रहीम का साधुओं का न’पुंसक बनाने का मकसद क्या था. इस चा’र्जशीट में सीधे तौर पर लिखा गया है कि अपने श्रद्धालु साधुओं को डेरे पर पूरे जीवन के लिए निर्भर और इनका इस्तेमाल दास की तरह करने के इरादे से गुरमीत राम रहीम ने 1999 से लगातार साधुओं को न’पुंसक बनाना शुरू कर दिया था।
साधुओं को न’पुंसक बनाने के पीछे एक अन्य बड़ा उद्देश्य ये था कि पुरुष साधु किसी भी हाल से महिला साध्वियों के संपर्क में ना आ सके और दोनों के बीच आपस में रिश्ता ना बन सके।
इस चा’र्जशीट में 1999 की एक घटना का भी जिक्र है जब गुरमीत राम रहीम के करीबी और डेरा सच्चा सौदा की मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर सुखदेव सिंह दीवाना ने एक साधु को महिला साध्वियों को देखते और उनसे बात करते हुए पकड़ा था, जिसके बाद उस साधु को जब’रदस्ती न’पुंसक बना दिया गया।
इस घटना के बाद गुरमीत राम रहीम इतना ज्यादा गु’स्से में आ गया था कि उसने खुले’आम युवा पुरुष साधुओं को ध’मकाते हुए कहा था कि अगर डेरे में रहना है तो तुम्हें न’पुंसक बनना पड़ेगा और उसके नि’शाने पर युवा और गरीब साधु ज्यादा होते थे।